"जन्नती ज़ेवर" इस नाम से मिलते जुलते नामों की और भी कुछ किताबें हैं, हम जिस की बात कर रहे हैं वो हज़रते अल्लामा अब्दुल मुस्तफा आज़मी अलैहिर्रहमा की तस्नीफ है।
ये किताब औरतों के लिये बहुत मुफ़ीद है।
किताब के आगाज़ में इख्तिसार के साथ बयान किया गया है कि हुज़ूर -ए- अकरम ﷺ की आमद से पहले औरतों के कितने बुरे हालात थे और उन के हुक़ूक़ (राइट्स) को किस तरह क़दमों तले रौंदा जा रहा था, फिर हुज़ूर ﷺ की आमद से औरतों को क्या इज़्ज़तें और बुलंदियाँ नसीब हुई।
इस के बाद किताब में औरत की ज़िंदगी के मामलात पर तफसीली कलाम किया गया है। बचपन, बुलूगत, निकाह वगैरा अनावीन के ज़िमन में बीवी को कैसा होना चाहिये, बहू के फराइज़, एक दूसरे के हुक़ूक़, पर्दे के अहकाम वगैरा को बयान किया गया है।
फिर अखलाक़ियात पर लिखते हुये मुसन्निफ ने बुरी आदतों और अच्छी आदतों को बयान किया है।
गुस्सा, हसद, लालच, कंजूसी, तकब्बुर, चुगली, गीबत, झूठ, बद गुमानी, रियाकारी और फिर क़ना'अत, हिल्म, सब्र, शुक्र, हया और सादगी की तफसील शामिल -ए- बयान है।
रुसूमात का बयान दिलचस्प होने के साथ साथ मालूमाती भी है और ज़माने के मुताबिक़ ज़रूरी मसाइल इस में दर्ज किये गये हैं।
जहेज़ की रस्म, तहवारों की रस्में, मुहर्रम की रस्में और फिर मजालिस वा फातिहा वगैरा के उनवान देखने को मिलते हैं।
ईमानियात, इबादात और इस्लामियात के बयान में सैकड़ों फिक़्ही मसाइल मौजूद हैं जिन का सीखना हर औरत पर फ़र्ज़ हैं। इस के अलावा सुन्नतों और आदाब को भी बयान किया गया है।
उठने बैठने के तरीक़े से ले कर खाने पीने और सोने जागने तक का बयान मौजूद है।
आखिर में उन नेक और पाक औरतों का तज़्किरा किया गया है जिन की ज़िन्दगी औरतों के लिये नमूना है।
उम्महातुल मोमिनीन, कई सहाबियात और सालिहात की ज़िंदगियों के कुछ पहलुओं को नक़ल किया गया है और फिर हिदायात बयान करने के बाद अमलियात के तहत मुख्तलफ सूरतों और आयात से इलाज बयान करते हुये किताब को तकमील तक पहुँचाया गया है।
औरतों को इस किताब का मुताला करना चाहिये, ये उर्दू और हिन्दी में मौजूद है।
अ़ब्दे मुस्तफ़ा
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