चार शादी के नुक़्सानात
ऐसा हो सकता है कि किसी काम के आगाज़ में हमें कुछ मनफ़ी अ़सरात (Side Effects) नज़र आयें पर ये भी देखना चाहिये कि आगे उस से फाइदा कितना बड़ा है।
जिहाद को ले लीजिये तो इस में लोगों को क़त्ल किया जाता है, खून बहता है और घर बल्कि इलाक़े बरबाद हो जाते हैं लेकिन यही आगे चल कर अमन का सबब बनता है और फितने खत्म होते हैं।
चार शादी का मामला भी ऐसा ही है।
एक तरह से हम अभी सिर्फ आगाज़ करने की ही बात कर रहे हैं क्योंकि तक़रीबन इसका नामो निशान मिट चुका है और ऐसा ही चलता रहा तो ना जाने क्या होगा।
अब चूँकि हालात ऐसे हैं तो ये अजीब क्या बड़ा अजीब लगेगा पर यही हल (Solution) है शादी ब्याह के सिस्टम को सुधारने का वरना लोगों ने सब कुछ कर के देख लिया कुछ खास फ़र्क़ नहीं पड़ा।
इस में पहले उलमा, हुफ्फाज़, मुबल्लिगीन वग़ैरह अहले इल्म हज़रात को आगे आना होगा ताकि वो दूसरों के लिये मिसाल और नमूना बन सकें।
आगे आने का मतलब खुद भी एक से ज़्यादा शादियाँ कीजिये और अपने बच्चों को भी तरगीब दीजिये।
गुर्बत, अद्ल, हुक़ूक़, मुआशरे वग़ैरह की बात जिस तरह की जाती है तो उस हिसाब से एक निकाह भी करने से बचना चाहिये।
अ़ब्दे मुस्तफ़ा
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