हक़ बोलने से ना डरिए
चापलूसी का बाज़ार गर्म है,
कई पढ़े लिखे लोग भी दही में सही मिलाने के आदी हो चुके हैं तो ऐसे में हक़ बोलना जिहाद से कम नहीं है।
अल्लाह पाक ने जिन्हें हक़ गोई की दौलत अता फरमाई है वो बयान करने में किसी से नहीं डरते।
मुखालिफत तो होती है और परेशानियां सामने आती हैं पर बिना किसी का लिहाज़ लिए हक़ बोलने वाले याद रखे जाते हैं।
हक़ बोलने में किसी से ना डरिए,
कोई आपका क्या बिगाड़ सकता है?
जब मुखालिफ़तो का तूफान दिखाई दे और आपको गिराने के लिए कोशिशें की जा रही हो तो याद कर लें के आप अकेले नहीं।
अगर बिगाड़ने वाले हैं तो फिर संवारने वाले भी हैं।
आला हज़रत रहिमहुल्लाहु तआला का ये शेर गुनगुनाते रहिये और हक़ की सदा बुलंद करते रहिये।
सुन लें आदा मैं बिगड़ने का नहीं
वो सलामत है बनाने वाले
अब्दे मुस्तफ़ा
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